(Diode) डायोड क्या है और कैसे काम करता है?

नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम एक खास इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स के बारे में जानने वाले हैं जिसका नाम है डायोड (Diode)। साथ ही हम विस्तार में यह भी जानेंगे की डायोड क्या होता है, कैसे काम करता है, डायोड के प्रकार, उपयोग, आदि।

डायोड एक सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट है जो विद्युत प्रवाह को एक ही दिशा में संचालित करता है|

इसे बनाने के लिए ज्यादातर semiconductor जैसे silicon और germanium का प्रयोग किया जाता है। मार्केट में अलग-अलग साइज के होते हैं। डायोड के रॉड पर दो ends/ electrodes होते हैं जिसको हम Anode और cathode कहते हैं।

diode kya hota hai

डायोड(Diode) क्या है?

डायोड के आने से इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया में एक नई क्रांति आई क्योंकि diode की वजह से electronic components अब पहले से बेहतर आने लगे। यह माना जाता हैं कि Thermionic Diode के आविष्कारक John Ambrose Fleming हैं।

डायोड ऐसा यंत्र है जो विद्युत प्रवाह (electric flow) को सिर्फ एक ही दिशा में संचालित करता है। ज्यादातर यह काले रंग का बेलनाकार आकार (cylindrical shape) का होता है और इसके एक छोर पर सिल्वर कलर की लाइन होती है। डायोड में सिल्वर लाइनिंग के बाए तरफ़ Anode(+ve) और दाए तरफ़ Cathode (-ve) electrode होता हैं।

एक डायोड का साइज जितना अधिक होता हैं उसमें करंट रेटिंग उतना ही ज्यादा होता हैं।

वैसे तो डायोड का इस्तेमाल किसी भी electronic device के circuit को सुरक्षित रखने के लिए करते हैं लेकिन इसके अलावा Diode का इस्तेमाल AC को DC में ट्रांसफॉर्म करने के लिए भी होता हैं।

अलग-अलग प्रकार के डायोड को अलग कामों में इस्तेमाल किया जाता है। डायोड एक semi conductor materials से बना होता है जिसमें semi conductor silicon और दूसरा semi conductor germanium होता हैं।

इसमें करेंट हमेशा anode से Cathode की तरफ ही flow होता है।

जब anode voltage ज्यादा positive (सकारात्मक) होता हैं cathode voltage के मुकाबले, तो इसे forward bias कहा जाता हैं वहीं दूसरी ओर जब तक cathode voltage ज्यादा positive होता है anode voltage के मुकाबले तो ऐसे diode को reverse-biased कहा जाता हैं।

एक diode अलग अलग रुप में काम करता है जैसे rectifier, voltage regulators, switches, oscillators, signal mixers, signal modulators, signal demodulators, और signal limitors।

डायोड कैसे काम करता है?

डायोड को हम जिस तरीके से install करेंगे वह चुनाव करेगा कि डायोड conductor की तरह इस्तेमाल होगा या insulator की तरह।

Diode P-N जंक्शन पर बना है जिसके पॉजिटिव (positive) terminal को Anode और नेगेटिव (negative) terminal को cathode कहते है। यहां Anode P-region से जुड़ा होता हैं जबकि cathode n-region से जुड़ा होता हैं।

कोई भी Diode तीन अलग states में operate करता है: Forward Bias, Reverse Bias, और breakdown।

डायोड को operate करने के लिए उसके दोनो terminals पर voltage देते हैं। जब diode terminal पर DC Voltage को अप्लाई किया जाता हैं तो इसे biasing कहते हैं।

अगर आपको किसी diode पर ON स्टेट पाना हो तो Forward biasing का इस्तेमाल करना होगा जिसमें हम high voltage को Anode पर अप्लाई करते हैं और low voltage को cathode पर अप्लाई करते हैं। ऐसा करने से current arrow head की दिशा में flow होगा।

अगर आपको किसी diode पर OFF स्टेट प्राप्त करना हो तो Reverse biasing का इस्तेमाल करना होगा जिसमें हम high voltage या positive voltage को Cathode पर अप्लाई करते हैं और low voltage या negative voltageको Anode पर अप्लाई करते हैं। ऐसा करने से current arrow head के ठीक उल्टे दिशा में flow होगा।

जब Diode ON स्टेट में होता हैं तो उसको एक resistance का सामना करना पड़ता है जिसे forward resistance कहते हैं।

इसे पार करने के लिए diode को forward bias voltage की जरूरत होती है जिससे वह खुद को ऑन state में switch कर सके। इस प्रक्रिया में जो एक्स्ट्रा वोल्टेज लगता है उसे Cut-in voltage कहा जाता हैं।

इसी प्रकार reverse biased mode में संचालन करने के लिए उसे reverse biased voltage की जरूरत पड़ती है। इस ऑफ स्टेट डायोड में एक्स्ट्रा लगे voltage को breakdown voltage कहा जाता हैं।

डायोड के लाभ: Benefits Of Diode

1)डायोड आकार में compact और compatible होते हैं।

2)कुछ डायोड जैसे Zener diode की मदद से electronic सर्किट बनाना बहुत सरल हैं।

3)इससे करेंट flow को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

4)यह voltage spike को supress करने का काम करती हैं। साथ ही साथ इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स को reverse voltages से बचाती हैं।

5)Diodes जैसे Schottky diodes high frequency में भी बड़ी सहजता से संचालित करती हैं।

डायोड के उपयोग: Uses Of Diode

1) रेडियो डिमोडूलेशन- Radio Demodulation

डायोड का पहला इस्तेमाल amplitude modulation (AM) रेडियो प्रसारण के demodulation के लिए हुआ था। यह AM रेडियो frequency सिग्नल को ठीक करके सिर्फ़ वाहक तरंग (carrier wave) की positive peaks निकालता है।

2) शक्ति रूपांतर- Power conversion

रेक्टिफायर का निर्माण डायोड से किया जाता हैं। यह AC current को DC Current में बदलती हैं।

साथ ही यह reverse voltage protection/ reverse polarity protection/ reverse battery protection भी प्रदान करती हैं।

3) तापमान माप- Temperature Measurement

डायोड का उपयोग तापमान मापने वाले उपकरण के की तरह भी किया जा सकता है, क्योंकि डायोड में आगे वोल्टेज ड्रॉप तापमान पर निर्भर करता है, जैसा कि सिलिकॉन बैंडगैप तापमान सेंसर में होता है।

अधिकांश डायोड में नेगेटिव तापमान गुणांक होता है, आमतौर पर सिलिकॉन डायोड के लिए -2 mV/°C। तापमान गुणांक लगभग 20 केल्विन से ऊपर के तापमान के लिए लगभग स्थिर है।

उपयुक्त दिए गए उपयोग के अलावा अन्य इस्तेमाल भी है जैसे over voltage से बचाना, logic gates, ionising radiation डिटेक्टर, आदि।

डायोड के प्रकार : Types Of Diode

डायोड कई प्रकार के होते हैं जैसे Schottky diode, Zener diode, Light emitting diode, Tunnel diode, Photo diode, Laser diode, Shockley diode, Varactor diode, Avalanche diode, Varractor diode, PIN diode।

यहां पर हम कुछ मुख्य डायोड के बारे में जानेंगे जैसे कि उनका कहां प्रयोग होता है, किसके द्वारा आविष्कार किया गया है, आदि।

Schottky Diode

जर्मनी के जाने माने भौतिक वैज्ञानिक Walter H. Schottky के नाम पर इस डायोड का नाम रखा गया है। इसका dropdown वोलेटेज बहुत ही कम होता हैं इसलिए इसमें करेंट बहने की है क्षमता अधिक हैं। साथ ही यह switching का कार्य बहुत तेज़ी से करता हैं।

Rectifier applications में इन डायोड का सबसे ज़्यादा प्रयोग होता हैं।

Shockley Diode

इस डायोड का अविष्कार 1950 के दशक में William Shockley द्वारा किया गया था। यह PNP vala पहला डायोड था।

Zener Diode

इसका आविष्कार सन् 1934 में clarance Zener ने किया था। इसका इस्तेमाल voltage regulator की तरह किया जाता हैं। वैसे तो यह साधारण डायोड की तरह करेंट को एक ही दिशा में बहने देता है लेकिन वोल्टेज जब breakdown voltage से ज्यादा होने लग जाए तो यह करेंट को विपरीत दिशा में संचालित करने लगता है।

Light emitting Diode

LED का आविष्कार सन् 1968 में हुआ था। यह डायोड आज के समय मे बहुत सारी जगह पर प्रयोग होता हैं जैसे ट्रैफिक सिग्नल, फ्लैश कैमरा, LED TV, आदि।

यह electric energy को light energy में बदलने का काम करती हैं और यह कई रंगों में मार्केट मे मिलती हैं। Tricolor LEDs एक ही बार में तीन रंगों को उत्सर्जित करती है।

Semiconductor द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे energy gap पर डायोड से उत्पन्न होने वाली लाइट color निर्भर करती हैं।

Photo Diode

यह डायोड light energy को इलेक्ट्रोनिक करेंट में बदलने का काम करता हैं। यह फोटो absorb करता है इसलिए इसका इस्तेमाल ज्यादातर solar power में किया जाता हैं। इसका response time बहुत ही कम होता हैं।

Laser Diode

ऐसे प्रकार के Diode का इस्तेमाल laser printing, laser scanning, laser pointer, bar code reader, fiber optic communication, light beem illumination आदि जैसे उपकरणों में होता हैं।

यह injection laser diode के नाम से भी जाना जाता हैं। इसका काम करने का तरीका लाइट एमिटिंग डायोड की तरह ही है बस फ़र्क इतना है की यह लाइट की जगह laser beam बनाता है।

Tunnel Diode

इसका आविष्कार सन् 1957 में Leo Esaki द्वारा किया गया था इसलिए इसको Esaki Diode के नाम से भी जाना जाता हैं।

यह उन जगहों पर इस्तेमाल होता हैं जहा काम नैनो सेकेंड में करना हो और यह बहुत तेज़ी से स्विच करता हैं।

कुछ उदहारण जहा Tunnel Diode का प्रयोग किया जाता है: microwave circuit, resistance to nuclear radiation, oscillatory circuits, आदि।

आगे पढ़िए : (i) कैपेसिटर (Capacitor) क्या हे और कैसे काम करता हे ?

(ii) रेजिस्टेंस (Resistance) क्या हे और कैसे काम करता हे ?

निष्कर्ष

ऊपर दिए गए पोस्ट में हमने Diode बारे में विस्तार में जाना है |आगे हम ने जाना Diode :उपयोग, प्रकार, फ़ायदे, आदि|

इसके बाद भी आपको अगर डायोड से जुड़ी कोई भी प्रशन हो तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।

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Diode Kya Hota Hai in Hindi FAQ

डायोड क्या काम करता है?

डायोड का मुख्य काम करंट को एक ही दिशा में प्रवाहित करता है। इसके बारे में संक्षेप में जानने के लिए ऊपर लिखे गए आर्टिकल में पढ़ सकते हैं।

किस डायोड का इस्तेमाल सबसे तेज स्विच के रूप में किया जाता है?

Schottky diode की मदद से सबसे तेज स्विच किया जा सकता है क्योंकि Schottky’s forward voltage 150-450 mV होता हैं।

एक आदर्श diode में कितनी शक्ति होनी चाहिए?

अगर किसी डायोड में 85 mV की शक्ति है तो वह एकदम परफेक्ट है।

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